ग्रैप्पलिंग खिलाड़ियों को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा परेशान
कानपुर (महेश प्रताप सिंह). छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय ग्रेपलिंग खिलाड़ियों के साथ अन्याय कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिए शिकायती पत्र के जवाब में विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी भी ग्रेपलिंग खिलाड़ी के नहीं पहुंचने की झूठी रिपोर्ट लगाई है।जबकि पिछले 2018 - 19 में लगभग 28 खिलाड़ियों ने विश्वविद्यालय के खेल विभाग से संपर्क किया था। यह आरोप ग्रेप्पलिंग के राष्ट्रीय प्रशिक्षक व निर्णायक सुनील चतुर्वेदी ने एक प्रेसवार्ता में लगाये।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रेप्पलिंग मल्लयुद्ध खेल के माध्यम से शहर के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर शहर का मान बढाया है। वहीं प्रधानमंत्री के फिट इंडिया अभियान पर कानपुर विश्वविद्यालय प्रशासन बट्टा लगा रहा है। पिछले सत्र 2018 -19 में भी ग्रेपलिंग खिलाड़ी विश्वविद्यालय प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हुए थे । ऑल इंडिया यूनिवरसिटी खेल कैलेंडर में शामिल खेल ग्रैप्पलिंग के खिलाड़ियों के लिए अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता आयोजित नहीं करवायी जा रही है। अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिभागिता हेतु खिलाडी कड़ा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। वहीं बेहद ग़रीब खिलाड़ी तक ग्रेपलिंग मल्लयुद्ध खेल का कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रेप्पलिंग मल्लयुद्ध खेल के माध्यम से शहर के कई खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर शहर का मान बढाया है। वहीं प्रधानमंत्री के फिट इंडिया अभियान पर कानपुर विश्वविद्यालय प्रशासन बट्टा लगा रहा है। पिछले सत्र 2018 -19 में भी ग्रेपलिंग खिलाड़ी विश्वविद्यालय प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हुए थे । ऑल इंडिया यूनिवरसिटी खेल कैलेंडर में शामिल खेल ग्रैप्पलिंग के खिलाड़ियों के लिए अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता आयोजित नहीं करवायी जा रही है। अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिभागिता हेतु खिलाडी कड़ा प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। वहीं बेहद ग़रीब खिलाड़ी तक ग्रेपलिंग मल्लयुद्ध खेल का कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं।
ग्रेप्पलिंग खेल भारतीय सभ्यता से जुड़े प्राचीन खेल मल्लयुद्ध की विधा पर आधारित है। विगत कई वर्षों से ये खेल पूरे देश में खेला जा रहा है। देश व प्रदेश के साथ-साथ इससे जुड़े खिलाड़ी कई पदक जीतकर प्रदेश व देश का मान पूरे विश्व में बढ़ा चुके हैं। अभी हाल ही में नीलकंठ तिवारी उत्तर प्रदेश युवा कल्याण खेल मंत्री ने प्रदेश के बच्चों को उत्तर प्रदेश उत्कृष्ट खेल सेवक सम्मान से सम्मानित किया था।
प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर, मनोहर लाल खट्टर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रामदास आठवले, सुशील कुमार आदि कई बड़ी-बड़ी हस्तियों ने इस खेल के प्रति अपना आभार प्रकट किया है। ग्रेपलिंग खेल की अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता हेतु ग्रेपलिंग खिलाड़ियों ने विश्वविद्यालय खेल सचिव आरपी सिंह से संपर्क किया आरपी सिंह ने तीखे बोल बोलते हुए खिलाड़ियों को भगा दिया खिलाड़ियों ने आरोप लगाया की आरपी सिंह की मनसा नहीं है फिर अपने खिलाड़ियों को भेजने की वह कभी महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों के पास तो कभी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों के पास खिलाड़ियों को टरकाते रहे।
वहीं जब ग्रेपलिंग खेल के खिलाड़ियों को अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता हेतु भेजने के लिए माननीय मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री महोदय से आग्रह किया गया था प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को दिए गए आंख्या में विश्वविद्यालय सीधे पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि किसी खिलाड़ी ने विश्वविद्यालय से संपर्क नहीं किया था यदि कोई खिलाड़ी संपर्क करता है तो उसको अंतर महाविद्यालय भेजा जाएगा जबकि आज लगभग 20 खिलाड़ी विद्यालय में 7 घंटे बैठे रहे लेकिन उसके बाद भी विश्वविद्यालय विद्यालय प्रशासन उनको टरकाता नजर आया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए गए खुद की आख्या को भी विश्वविद्यालय मारने के लिए तैयार नहीं हो रहा है तो कहीं ना कहीं यह प्रशासन सहित प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के विपरीत काम कर रहा है। और खुद की बातों पर ही कायम नहीं है विश्वविद्यालय प्रशासन। जहां एक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वह खेल से जोड़ने की मुहिम का पलीता लगाता विश्वविद्यालय नजर आ रहा है वहीं दूसरी ओर खिलाड़ियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
ग्रैप्पलिंग खिलाड़ियों ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ग्रेपलिंग खेल की ओर ध्यान ना देकर अंतर विश्वविद्यालय कोटा में नहीं भेजेगा तो हम सभी खिलाड़ी के अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
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