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बैंकर्स यूनाइटेड ने फिर से की बैंकर्स के लिए आवाज बुलंद

कानपुर (सूरज वर्मा). इन दिनों भारत में लॉकडाउन लागू है, सिर्फ जरूरी चीजों के लिए ही लोग बाहर निकल सकते हैं। इस दौरान सारे बाजार भी बंद हैं, सिर्फ दूध, सब्जी, राशन, बैंक आदि ही खुले हैं। सोशल डिस्टेंसिग को सही से लागू करवाने के लिए सख्ती भी खूब हो रही है। कुछ बैंकों में लोगों की भीड़ अधिक होने के चलते उनके खिलाफ एक्शन भी लिया गया है। कुछ बैंकर की तरफ से ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पुलिस ने गलत आधार पर एक्शन लिया या अभद्र व्यवहार किया। इसी बीच एक बार फिर से सोशल मीडिया पर #BankersFightCorona ट्रेंड करने लगा है। 



प्राप्‍त सूचना के अनुसार एक शख्स ने एक बैंक द्वारा की गई लिखित शिकायत की तस्वीर ट्वीट की है, जिसमें बैंक ने पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगाया है। साथ ही ये भी कहा है कि बैंक के खिलाफ गलत आधार पर एक्शन लिया गया है। ये भी आरोप और सवाल पूछे जा रहे हैं कि बैंकों का नीति निर्माता कौन है, बैंक किसके अधीन काम कर रहे हैं क्योंकि इस समय हर सरकारी अधिकारी बैंक को अपने हिसाब से चला रहा है।


बैंकर्स यूनाइटेड फोरम ने बताया कि अभी उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया के जरिये आवाज उठाई जा रही है और आज लगातार एक हफ्ते में तीसरी बार ट्विटर के जरिये आवाज उठाई है. उनके द्वारा आवाज उठाये जाने का नतीजा था कि गृह मंत्रालय को लिखित में आदेश जारी करना पड़ा था कि बैंकों के बाहर सुरक्षा और सोशल डिस्टेनसिंग के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी है । इसी के साथ कुछ लोग बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की तस्वीरें भी ट्वीट कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये सोशल डिस्टैंसिंग नहीं है ?


ये भी आरोप लगाए जा रहे है कि बैंकर्स को पुलिस की तरफ से कोई मदद गृह मंत्रालय के आदेश के बाद भी नहीं मिल सकी है, उल्टा बैंकों को धारा 188 के उल्लंघन की नोटिस दी जा रही है। ऐसे में बैंक भी कोविड-19 के अगले हॉट-स्पॉट हो सकते हैं। वहीं कुछ लोग इस ओर भी ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं कि बैंकर्स को सुरक्षा उपकरण नहीं मिल रहे हैं। उनका कहना है कि डॉक्टर्स और पुलिस को सरकार सुविधाएं दे रही हैं, लेकिन बैंकरों को नहीं। लॉकडाउन के बीच लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए जागरुक करने की कवायद लगातार हो रही है, लेकिन बैंकों के बाहर कई जगहों पर भीड़ लग रही है। इस वजह से कई बैंकों के खिलाफ कार्रवाई भी हो रही है। हालांकि, कुछ लोग ये भी कह रहे हैं इसके लिए पुलिस ही जिम्मेदार है, क्योंकि वह बैंक के बाहर कानून व्यवस्था लागू नहीं कर पा रही है। 


इसी के साथ कुछ बैंकर्स ने उनके 2017 से लंबित वेतनमान का मुद्दा भी उठाया और कहा कि सारे काम बैंक वालों पर थोपे जा रहे हैं सारी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंक कर्मी ही लगे हुए है इसके बाद भी काम का उचित मेहनताना नहीं मिल रहा है। सच चाहे जो भी हो पर सोशल मीडिया में मामला फिलहाल काफी गर्म है और सरकार को जल्‍द ही कोई ठोस निर्णय लेना ही पडेगा।


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