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ठेके खुलने से जिले में बढ गया है क्राइम ग्राफ

कानपुर (सूरज वर्मा). लॉकडाउन 3.0 की शुरूआत में ही सरकार ने शराब की दुकानें खोल दी थीं। सरकार की इस कार्यवाही के पीछे का उद्देश्‍य खाली हो रहे सरकारी खजाने को भरना था, ताकि कोरोना के साथ लड़ाई में धन की कमी न होने पाये, परन्‍तु शराब की दुकानें खोलने के सरकार के फैसले का भारी विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि शराब बंदी हटाने से हत्या, आत्महत्या, लड़ाई झगड़े के साथ ही सड़क हादसों में भी वृद्धि हो रही है। 



बताते चलें कि लॉकडाउन के दौरान पुलिस तक आने वाले घरेलू हिंसा के मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई। पर शराब बिक्री से पाबंदी हटते ही इन घटनाओं में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। यही नहीं शराब से पाबंदी हटने के बाद से जिले में दो हत्या की वारदातें हो चुकी हैं। दोनों ही वारदातों में शराब का नशा कारण था। पनकी रतनपुर में शराब को लेकर पत्नी से झगड़े के बाद सफाईकर्मी ने आत्महत्या कर ली। रावतपुर में भी इसी तरह के विवाद के बाद एक युवक ने फांसी लगा ली। तीन अन्य ने भी अपनी जान दे दी। इसके अलावा शराब के नशे में झगड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि शराब बंदी हटाने से हत्या, आत्महत्या, लड़ाई झगड़े के साथ ही सड़क हादसों में भी वृद्धि हो रही है अस्‍तु इस पर रोक लगाया जाना फिलहाल बेहद जरूरी है।


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