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वायरल VIDEO केस - DIG कानपुर ने एसपी क्राइम और एडीएम सिटी को सौंपी जांच

कानपुर (सूरज वर्मा). उत्तर प्रदेश के कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल  की प्राचार्य आरती लालचंदानी का तबलीगी जमात  पर टिप्पणी का वायरल वीडियो पर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है। ज्ञात हो कि अप्रैल महीने में डॉ. आरती लालचंदानी ने तबलीगी जमात के लोगों पर अस्पताल के स्टाफ पर थूकने और मारपीट का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि अस्पताल में एडमिट तबलीगी जमात के लोग खाने में बिरयानी मांग रहे हैं. साथ है अस्पताल स्टाफ के साथ मारपीट पर उतारू हैं. इस पूरे मामले पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए हैं. मामले में एसपी क्राइम और एडीएम सिटी को जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. उधर फिलहाल प्राचार्य आरती लालचंदानी मोबाइल बंद करके अपने कार्यालय से नदारद हैं और उनके कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ है.



इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रचार्य ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें मुस्लिम धर्मगुरुओं ने माफ कर दिया है. उससे पहले भी अपनी सफाई में उन्होंने वीडियो जारी किया था. दरअसल वायरल वीडियो में प्रिंसिपल तबलीगी जमात को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए और उन्हें जंगल में छोड़ने की बात कहती दिख रही है. इसके बाद डॉ. आरती के खिलाफ जहां एक और मुस्लिम संगठनों के लोगों ने मोर्चा खोल रखा है तो वहीं अधिवक्ता नासिर खान ने पुलिस उपमहानिरीक्षक से इसे लेकर शिकायत की है और उन पर मुकदमा लिखवाने की बात भी कही है. डीआईजी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.


अधिवक्ता नासिर खान ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में सोशल मीडिया के माध्यम से आया है. अधिवक्ता की हैसियत से और समाज के जिम्मेदार नागरिक की हैसियत से वह इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को अवगत करा रहे हैं. यहां तक की आज उन्होंने पुलिस उपमहानिरीक्षक को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से प्रार्थना पत्र भी भेजा है, जिसमें प्राचार्य द्वारा अभद्र टिप्पणी करने के मामले को गंभीरता से लिए जाने का अनुरोध किया है.



अधिवक्ता नासिर खान ने बताया इतने बड़े पद पर आसीन होने के बाद इस तरह की मानसिकता रखना और किसी भी समाज के व्यक्ति पर इस प्रकार की टिप्पणी अशोभनीय है. प्राचार्य के वायरल हुए वीडियो में डंडे से मारने की बात भी कही गई है. अधिवक्ता ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजन चिकित्सकों से उम्मीद करते हैं कि उन्हें बेहतर इलाज मिले. ताकि वह स्वस्थ होकर घर जाएं न कि उन्हें जेल में ठूस दिया जाए. इस तरह की मानसिकता रखने वाली चिकित्सक या प्राचार्य को इस कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं है.



ये है पूरा मामला -
दरअसल, सोशल मीडिया पर डॉ. आरती लालचंदानी का एक वीडियो इन दिनों वायरल है. इस वीडियो में वे पत्रकारों के साथ बात करते हुए तबलीगी जमात के लोगों के बारे में कह रही हैं. अनॉफिशियल बातचीत में डॉ आरती यह कहते हुए दिखाई दे रही हैं कि जिन्हें जेल में भेजना चाहिए उन्हें हॉस्पिटल में भेजा जा रहा है. जिन्हें जंगल में छोड़ना चाहिए वे यहां हैं. इससे अस्पताल, मैनपावर सभी का नुकसान हो रहा है. हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद डॉ आरती ने अपने बचाव में कहा कि यह करीब 70 दिन पुराना वीडियो है जो कि ब्लैकमैलिंग के तौर पर बनाया गया और फिर काम न बनने पर वायरल कर दिया गया. ज्ञात हो कि अप्रैल महीने में डॉ. आरती लालचंदानी ने तबलीगी जमात के लोगों पर अस्पताल के स्टाफ पर थूकने और मारपीट का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि अस्पताल में एडमिट तबलीगी जमात के लोग खाने में बिरयानी मांग रहे हैं. साथ है अस्पताल स्टाफ के साथ मारपीट पर उतारू हैं.


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