मरीजों की जान खतरे में डाल रही है एम्बुलेन्स संचालकों की मनमानी
कानपुर (सूरज वर्मा). एम्बुलंस संचालकों पर आरोप लगा है कि वो चंद रुपयों के कमीशन के खातिर बेहतर इलाज का हवाला देकर सरकारी अस्पतालों से मरीजों को कल्याणपुर के निजी अस्पताल ले जाते हैं. जहां शुरू होता है कमीशन का खेल. ये लोग अपने कमीशन के लिए मरीजों को इलाज के लिए ऐसे हाथों में सौंप देते हैं जोकि इलाज के नाम पर नौसिखिए होते हैं.
नाम न छापने की शर्त पर एक डाक्टर ने बताया कि कुछ निजी अस्पताल के संचालक मरीज को इलाज के नाम पर डरा धमका कर लाखों रुपए ऐंठते हैं. उसके बाद कमीशन का एक हिस्सा एम्बुलेंस संचालक को दिया जाता है.
दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को हैलट एमरजैंसी के अंदर जाने के पहले ही एंबुलेंस संचालक बाहर गेट पकड़ लेते हैं और उन्हें सरकारी इलाज की खामियां बताकर अपने सेटिंग वाले एवं अधिक कमीशन देने वाले निजी अस्पतालों में ले जाते हैं। मरीज के तीमारदारों को बताया जाता है कि बेहतर इलाज निजी हॉस्पिटल में ही मिलेगा। मरीज के तीमारदार एंबुलेंस चालक की बातों में आकर अपने मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती करा देते हैं उसके बाद शुरू होता है पैसा कमाने का खेल।
अस्पताल संचालक गंभीर बीमारी बताकर लाखों रुपए मरीज के तीमारदार से वसूलते हैं और उसका एक हिस्सा एम्बुलेंस संचालक को देते हैं। जबकि एम्बुलेंस संचालक सरकारी योजनाओं कि गलत जानकारी भी मरीज के तीमारदार को देते हैं। यह सब कुछ जानने के बाद भी एम्बुलेंस संचालक और बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे निजी हॉस्पिटल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आर.बी कमल ने जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की बात कही और एस.आई.सी डॉक्टर ज्योति सक्सेना को निर्देशित करने की भी बात कही है। जिससे कि एंबुलेंस संचालक हैलट परिसर से बाहर हो और एम्बुलेंस भी। वहीं सी.ओ स्वरूप नगर ने बताया कि उनके पास यदि कोई पत्र आता रहता है तो हैलेट परिसर में खड़ी एंबुलेंस बाहर की जाएंगी. इस पूरे मामले में प्रिंसिपल डॉ आर.बी कमल ने तो पत्र लिखे जाने की बात कही है लेकिन एस.आई.सी और सी.ओ ने पत्र मिलने की जानकारी से इंकार किया है।
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