कानपुर मेट्रो - आईआईटी के नज़दीक रखा गया पहला आई-गर्डर
कानपुर (इब्ने हसन जैदी). मेट्रो परियोजना के अंतर्गत आईआईटी मेट्रो स्टेशन के नज़दीक पहला आई-गर्डर रखा गया। आईआईटी मेट्रो स्टेशन के नज़दीक पिलर संख्या 9 और 10 के बीच चार आई-गर्डर्स का इरेक्शन या परिनिर्माण हुआ। बता दें कि मेट्रो के उपरिगामी या एलिवेटेड कॉरिडोर में जहां पर ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर ले जाने या प्लैटफ़ॉर्म बदलने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है, वहां पर यू-गर्डर की जगह आई-गर्डर का इस्तेमाल किया जाता है।
कानपुर मेट्रो के प्राथमिक सेक्शन के अंतर्गत तीन ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां पर आई-गर्डर्स रखे जाएंगे। 9 किमी. लंबे प्रयॉरिटी कॉरिडोर के अंतर्गत दोनों टर्मिनल मेट्रो स्टेशनों, आईआईटी और मोतीझील के अलावा, डिपो लाइन या पॉलिटेक्निक मेट्रो डिपो के नज़दीक आई-गर्डर्स लगाए जाएंगे और इन तीनों स्थानों को मिलाकर कुल 178 आई-गर्डर्स रखे जाने हैं। आईआईटी से मोतीझील के बीच तैयार हो रहे 9 किमी. लंबे प्राथमिक सेक्शन के अंतर्गत तीनों निर्धारित स्थानों पर लगभग 27 मीटर लंबे आई-गर्डर्स इस्तेमाल होने हैं, जिनकी चौड़ाई 1 मीटर है और वज़न लगभग 58 टन है।
यू-गर्डर से किन मायनों में अलग होते हैं आई-गर्डर -
मेट्रो के एलिवेटेड कॉरिडोर में जहां पर मेट्रो ट्रेन के क्रॉस ओवर की व्यवस्था करनी होती है, वहां पर यू-गर्डर्स की जगह आई-गर्डर्स का इस्तेमाल होता है। दो पियर्स या पिलर्स के बीच पियर कैप के ऊपर दो यू-गर्डर्स रखे जाते हैं, जबकि इतनी ही जगह में चार आई-गर्डर्स रखे जाते हैं यानी दो पिलर्स के बीच 4 आई-गर्डर्स रखने की व्यवस्था होती है। बता दें कि इन आई-गर्डर्स के बीच में कोई दीवार नहीं होती है और इस वजह से ही ट्रेन आसानी से एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर जा सकती है। आई-गर्डर्स, इंग्लिश के 'I' अल्फ़ाबेट के आकार के होते हैं और इन्हें भी कास्टिंग यार्ड में प्री-कास्ट किया जाता है। क्रेन की सहायता से इन्हें कॉरिडोर पर नियत स्थान पर रखा जाता है और इसके बाद इनपर स्लैब तैयार की जाती है, जबकि प्री-कास्ट यू-गर्डर में स्लैब या नीचे का आधार पहले से ही तैयार होता है। आई-गर्डर्स में साइड वॉल या बाउंड्री नहीं होती है। साइड वॉल को कास्टिंग यार्ड में अलग से तैयार किया जाता है और इसके बाद इन्हें साइट पर आई-गर्डर्स के किनारों पर स्टिच कर दिया जाता है।
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