खनन माफियाओं पर नकेल कसने की बजाये प्रशासन उजाड़ रहा गरीबों का आशियाना
कानपुर में जहां गरीबों के आशियाने उजाड़े जा रहे हैं उसी क्षेत्र में एक ओर खनन माफिया अपना खनन का काम जोरों शोरों से कर रहे हैं पर शासन/प्रशासन के आला अधिकारियों की निगाहें उन खनन माफियाओं के अवैध खनन को नहीं देख पा रही हैं। परंतु उसी विभाग के आला अधिकारियों की निगाहों में गरीब व असहाय लोग जरूर चुभ रहे हैं जो लोग इस कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए एक टूटी छत के नीचे रहते थे। ऐसी ही कई छतें बिल्हौर क्षेत्र के गरीबों के सर से उखाड़ फेंकी गई है।
पीड़ित टीकम सिंह का कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों और स्थानीय तहसील कमिर्यो आदि की फर्जी रिपोर्ट पर बीते दिनों प्रशासन द्वारा उत्तरीपुरा में अवैध निर्माण गिराने की आड़ में अनेक वैद्य निर्माण जबरन गिरा दिये गये। जांच करने गयी टीम में जो अधिकारी/कर्मचारी शामिल थे उनके द्वारा जांच रिपोर्ट भेदभावपूर्ण तरीके से तैयार की गयी। मौके पर तकरीबन दो दर्जन निर्माण हैं परन्तु जिसने भी सुविधा शुल्क दे दिया उसका निर्माण वैद्य साबित कर दिया गया और जिसने सुविधा शुल्क नहीं दिया ऐसे लोगों के निर्माण अवैद्य बता कर गिरा दिये गये। जांच रिपोर्ट में टीकम सिंह, सुनील मिश्रा एवं धीरज शुक्ला को अवैद्य कब्जेदार बताया गया है जोकि पूरी तरह गलत है। इनका उक्त भूमि से कोई लेनादेना नहीं है एवं उनके द्वारा वहां कोई अवैद्य कब्जा नहीं किया गया है। जांच रिपोर्ट में इन तीनों का नाम केवल निजी द्वेषवश जबरन घसीटा जा रहा है। इससे साबित होता है कि उत्तरीपुरा की भूमि को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के मालिकाना हक में बताने वाली उक्त जांच रिपोर्ट पूरी तरह संदिग्ध एवं फर्जी है।
पीड़ित टीकम सिंह ने बताया कि एक आरटीआई के लिखित जवाब में स्वयं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक गौरव गुप्ता ने विगत 12 सितम्बर 2020 को बताया है कि हाईवे के किनारे तकरीबन 39 फुट जमीन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अर्न्तगत आती है और जो निर्माण अवैद्य बता कर गिराये गये हैं वो सड़क से करीब 55 फुट दूर है और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं। अस्तु उनका गिराया जाना अवैद्य एवं गैरकानूनी है।
स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि जब क्षेत्र के कुछ लोगों ने क्षेत्र के थाना प्रभारी से उनके आशियाने ना उजाड़ने की गुजारिश की तो थाना प्रभारी भड़क गए और आक्रोश में आकर क्षेत्रीय जनता के साथ बदसलूकी करने लगे। हद तो तब हो गई जब यह सारी घटना की कवरेज कर रहे एक पत्रकार ने थाना प्रभारी से खनन को लेकर एक प्रश्न पूछ लिया तो थाना प्रभारी ने कैमरे के सामने ही पत्रकार को भद्दी भद्दी गालियां दे डालीं। दरोगा जी का गाली देने का वीडियो सोशल मीडिया पर जोरों से वायरल हो रहा है।
आरोप है कि टवीटर पर शिकायत किये जाने के बावजूद उच्च अधिकारियों को न तो वायरल वीडियो दिखाई दे रहा है और न ही दरोगा जी की गालियां सुनाई दे रही हैं। पीड़ित टीकम सिंह ने कहा कि अंधे, बहरे और संवेदनाहीन प्रशासन से गरीबों के भले की उम्मीद करना कतई व्यर्थ है। जिस तरह से सूबे में सराकारी गुण्डाराज चल रहा है उससे इतना तो साफ है कि सूबे की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में घुन लगने शुरू हो गये हैं।
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