विश्व व्यापार संगठन में भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा शुरू
नई दिल्ली (महेश प्रताप सिंह). भारत की सातवीं व्यापार नीति समीक्षा (टीपीआर) जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शुरू हुई। डब्ल्यूटीओ के निगरानी संबंधी क्रियाकलाप के तहत व्यापार नीति की समीक्षा एक महत्वपूर्ण प्रणाली है, जिसमें सदस्य देशों की राष्ट्रीय व्यापार नीतियों की व्यापक समीक्षा की जाती है। भारत की आखिरी व्यापार नीति समीक्षा2015 में हुई थी।
वाणिज्य सचिव डॉ. अनूप वधावन भारत के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस अवसर पर डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के लिए अपने प्रारंभिक वक्तव्य मेंवाणिज्य सचिव ने कहा कि यह टीपीआर ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया के सामने एक अभूतपूर्व स्वास्थ्य और आर्थिक संकट मौजूद है। उन्होंने भारत द्वारा कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों को प्रभावी रूप से दूर करने के लिए आत्मनिर्भर
डॉ. अनूप वधावन ने सभी के लिए वैक्सीन और कोविड के उपचार के लिए समान और सस्ती पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा की,जिसके बारे में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली प्रभावी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी शुरू होने तत्काल बादही इससे निपटने के लिए, भारत ने विश्व व्यापार संगठन में प्रभावी उपायों के एक अल्पकालिक पैकेज पर जोर दिया है, जिसमें विनिर्माण क्षमता बढ़ाने और सुनिश्चित करने के लिए कुछ ट्रिप्स प्रावधानों में एक अस्थायी छूट शामिल है, जैसे - कोविड-19 के लिए नए डायग्नोस्टिक्स, चिकित्सीय और टीकों की समय पर और सस्ती उपलब्धता,खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोलिंग (पीएसएच) के लिए एक स्थायी समाधानऔर एक बहुपक्षीय पहल, स्वास्थ्य देखभाल संबंधी पेशेवरों की मोड-4 के तहत एक से दूसरे देशों में आने-जाने की सुविधा आदि से चिकित्सा सेवाओं तक आसान पहुंच संभव हो सकता है।
वाणिज्य सचिव ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में, भारत की पिछली टीपीआर के बाद से, सरकार ने एक अरब से अधिक भारतीयों की सामाजिक-आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संपूर्ण आर्थिक इको-सिस्टम को सुधारने और बदलने का काम किया है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की शुरुआत, दिवाला और दिवालियापन संहिता, श्रम क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार, एक सक्षम और निवेशक अनुकूल एफडीआई नीतिऔर मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसे विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे विनिर्माण क्षेत्रों में तेजी से परिवर्तन लाने पर जोर दिया गया। व्यापक सुधारों के कारण आर्थिक और व्यावसायिक वातावरण में सुधार होने सेविश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में भारत का स्थान 2015 के 142वां से बढ़कर 2019 में 63वां हो गया। यह सुधार उन निवेशकों द्वारा भी समर्थित है जो महामारी के परीक्षण समय के दौरान भी भारत को एक वांछनीय निवेश गंतव्य के रूप में देख रहे हैं।उनकी रूचि से एफडीआई प्रवाह वर्ष-दर-वर्ष 10 प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ते हुए 2020-21 के पहले छह महीनों में 40 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। 2019-20 में, भारत को 74.39 बिलियन अमरीकी डॉलर का सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर विश्व व्यापार संगठन सचिवालय द्वारा एक व्यापक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें पिछले पांच वर्षों में भारत की सभी प्रमुख व्यापार और आर्थिक पहल शामिल हैं।इसमें समीक्षाधीन अवधि में भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत को महत्व दिया गया औरइस अवधि के दौरान भारत में सुधार के प्रयासों को सकारात्मक माना गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत आर्थिक विकास के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय और जीवन प्रत्याशा जैसे सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में सुधार हुआ है। सचिवालय की रिपोर्ट ने भारत को अपनी एफडीआई नीति को उदार बनाने, व्यापार सुविधा समझौते की पुष्टि करने और समीक्षाधीन अवधि में कई व्यापार-सुविधा उपायों को लागू करने के लिए भी सराहना की।
अपनी शुरुआती टिप्पणियों में, डब्ल्यूटीओ की टीपीआर बॉडी के अध्यक्ष, आइसलैंड के राजदूत श्री हैरल्ड एस्पेलुंड ने समीक्षाधीन अवधि में भारत को मजबूत आर्थिक विकास के लिए बधाई दी। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को आसान बनाने, व्यापार की सुविधा बढ़ाने तथा विभिन्न कार्यक्रमों और नियमों को लागू करने के लिए भारत के प्रयासों के लिए इसकी सराहना की। उन्होंने भारत की व्यापार नीति सक्षीक्षा से पहले ही डब्ल्यूटीओ सदस्यों से प्राप्त किए गए 700 से अधिक प्रश्नों के लिए समयानुसार तथाविस्तृतउत्तरोंको लेकरभी भारत की सराहना की।
भारत की व्यापार नीति समीक्षा के लिए चर्चा में शामिल थाईलैंड की राजदूत (सुश्री) सुनान्ता कांगवालकुलकिज ने कहा कि यह व्यापार नीति समीक्षासबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक के लिए है, जो विश्व व्यापार संगठन में एक महत्वपूर्ण और अमूल्य योगदानकर्ता है। उन्होंने समीक्षाधीन अवधि में अपने मजबूत आर्थिक विकास और व्यापक आर्थिक और संरचनात्मक सुधारों के लिए भारत की जोरदार तारीफ की। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से भारतीय अर्थव्यवस्था की दक्षता और समावेशिता में वृद्धि हुई है तथा भारत 2019 में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा। उन्होंने भारत की एफडीआई व्यवस्था को उदार बनाने और कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों के लिए भारत की सराहना की।
इस अवसर पर वक्तव्य देने वाले डब्ल्यूटीओ के 50 से अधिक सदस्यों ने अपने मजबूत और लचीला आर्थिक विकास तथा कारोबारी सुगमता में व्यापक सुधार के लिए भारत की सराहना की, जिसे विश्व बैंक द्वारा भी माना गया। सदस्यों ने भारत द्वारा व्यापार और आर्थिक नीतियों को अधिक समावेशी और टिकाऊ तरीके से सुधारने के लिए उठाए गए उल्लेखनीय कदमों के बारे में चर्चा की। कई सदस्यों ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में भारत के नेतृत्व की भूमिका की सराहना की औरभारत को 'विश्व की फार्मेसी' के रूप में स्वीकार किया। भारत की एफडीआई व्यवस्था का उदारीकरण, कई कारोबारी सुगमता संबंधी उपायों के कार्यान्वयनऔर भारत की राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति का कार्यान्वयन आदि सुधार के अन्य उपायों में शामिल हैं,जिनकी डब्ल्यूटीओ सदस्योंनेसराहना की। कई सदस्यों ने डब्ल्यूटीओ में भारत के उत्कृष्ट अधिसूचना और पारदर्शिता रिकॉर्ड की भी सराहना की।
भारतीय बाजार के तेजी से बढ़ते आकार को ध्यान मेंरखते हुए, प्रमुख औद्योगिक और विकसित देशों ने विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार अपने मानकों की प्रणाली का सामंजस्य कायम करने के साथ-साथ एंटी-डंपिंग में कमी लाने तथा व्यापार के अन्य सुधारों सहित भारत की व्यापार नीति को अधिक उदार बनाने की मांग की।कई सदस्यों ने एक रणनीतिक और व्यापारिक साझेदार के रूप में भारत के महत्व की चर्चा और भारत के साथ अपने द्विपक्षीय या क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौतों में प्रगति जारी रखने की इच्छा व्यक्त की। कई सदस्यों ने डब्ल्यूटीओ में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की और साथ ही अल्प-विकासशील देशों (एलडीसी) सहित विकासशील देशों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की सराहना की।
व्यापार नीति समीक्षा की बैठक 8 जनवरी 2021 को दूसरे दिन भी जारी रहेगी, जब भारत की व्यापार और आर्थिक नीतियों पर सदस्यों के बीच अगले दौर की चर्चाहोगी।
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