रेलवे फाटक को परमानेंट बंद करने पर सुरेंद्र मैथानी ने दर्ज कराया विरोध
कानपुर (गुड्डू सिंह). गोविंद नगर विधानसभा के विधायक सुरेंद्र मैथानी ने लखनऊ में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत से भेंट कर आग्रह किया कि पनकी के समस्त निवासियों का अभी तक पनकी बाजार तथा रामलीला के मंच और उसके बगल में मंदिर तक जाने तथा सब्जी बेचने वाले गरीब लोगों के सब्जी मंडी स्थल तक जाने हेतु रेलवे फाटक पार कर के जाना ही एक मात्र मार्ग है जिस पर रेलवे क्रॉसिंग बनी है, विधायक ने मंत्री से उस रेलवे फाटक को परमानेंट बंद करने का विरोध किया।
विधायक ने कहा कि पनकी पावर प्रोजेक्ट के निर्माण का हम स्वागत करते हैं परंतु उक्त निर्माण के रॉ मटेरियल की आपूर्ति के लिए माल गाड़ियों से कोयला आदि की ढुलाई का कार्य होगा और इसके लिये रेल फाटक को बन्द किया जा रहा है। विधायक ने मंत्री से कहा कि रेलवे फाटक से लगी हुई बरसों पुरानी सब्जी मंडी है जिससे गरीबों को रोजगार मिलता है, वह उजड़ जायेगी। जिससे सब्जी बेचने वाले गरीब लोगों के परिजनों को मिलाकर लगभग 2500 लोग भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे तथा रामलीला मैदान और उससे लगे हुए मंदिर तक पहुंचने का पनकी के लगभग 5 हजार से भी ज्यादा लोगों का एक मात्र रास्ता भी बन्द हो जायेगा। इसी रास्ते से पनकी के मुख्य मार्केट में भी लोगों को जाना होता है। उक्त फाटक बंद होने से लगभग 2 से 3 किलोमीटर के अतिरिक्त घुमाओ को पार करने के बाद मार्केट पर पहुंचना एक कठिनाई का कार्य होगा। जिससे बाजार भी बन्दी के कगार पर पहुंच जाएगी।
विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कहा कि मार्केट के भी लगभग 300 के आसपास दुकानों से जुड़े हुए व्यापारी और कर्मचारियों की संख्या जो लगभग 2 हजार के आसपास होती है, उन पर भी संकट के बादल छा जाएंगे। विधायक ने मंत्री को बताया कि दुकानदारों में भय है कि उनकी दुकानों को पनकी पावर प्रोजेक्ट के कारण से गिराया जाएगा अतः विधायक ने 40 साल पुरानी दुकानों के प्रति इस प्रकार की ध्वस्तीकरण की किसी भी कार्रवाई का मंत्री के समक्ष विरोध आग्रह दर्ज कराया। विधायक ने कहा कि उन दुकानों पर कोई कार्यवाही ना हो एवं किसी के रोजगार को पावर प्रोजेक्ट के कारण छीनने का काम ना हो। किसी दुकान का ध्वस्तीकरण मंजूर नहीं होगा। मंत्री श्रीकांत ने विधायक सुरेंद्र मैथानी को यह आश्वासन दिया कि कल ही लखनऊ में बैठक होगी जिसमें रेलवे एवं पनकी पावर प्रोजेक्ट के अधिकारियों तथा संबंधित अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श होगा और प्रयास होगा कि जनहित की भावनाओं के अनुरूप ही कोई निर्णय किया जाए।
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